गीतिका/ग़ज़ल संदीप करोसिया 01/08/2014 ।। ग़ज़ल ।। जीते जी आराम कहाँ है ।। मरकर भी विश्राम कहाँ है ।। हमने प्यार किया हम दोषी ।। आपके सर Read More