ग़ज़ल
समुंदर में कई प्यासे उतर कर डूब जाते हैं किसी की प्यास में सारे समुंदर डूब जाते हैं कभी सैलाब
Read Moreकिन्हीं क्षणों में कोई काँटा हो जाता है जब संन्यासी सावधान! षड्यंत्र सियासी! झेलें दुःख की मार निरंतर, रोज़ व्यवस्था
Read Moreजैसे रूई धुनें जुलाहे श्रमिक अंधेरों को धुनते हैं, किरणों की चादर बुनते हैं। एक उम्र के जितनी लंबी दुर्घटना
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