गीतिका/ग़ज़ल कुलदीप पंड्या 05/12/2017 गजल पायल पहने ऩज़रों ने उन्हे क्या देखा थम गई ऩज़रे, ऩज़रों को बंधा देखा। खनकी दिवारे दिलकी पायल से उनकी Read More