पिता परमेश्वर
मां का शृंगार हैं पिता, शृंगार का राज हैं पिता, सुहाग का आधार हैं पिता, जन जन का अवलम्ब हैं
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Read Moreप्यारी प्रेयसी चन्दनी रूपी सखी वो रूपवती।। चांदनी रात बैठा चांद सा सखा मुद्रा मोहक ।। प्यार मिलन ज्यों कृष्ण
Read Moreतन दुबला पर मन मजबूत है महल अटारी निर्माता का, कम मत आंको कृशकाय देख, मनोबल, सजे शहरों के निर्माता
Read Moreजब-जब भी मूर्ख मानव ने, अपनी अति दिखलायी हैं, प्रकृति का शोषण करके, स्वार्थी प्रकृति प्रकटायी है, तब-तब शान्त प्रकृति
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