कविता : मासूमी
बेजुबान होते है पत्थर तराशा गया है उन्हें इस खूबी से मासूमियत का इजहार करते बच्चे जब भूखे हो दाने
Read Moreबेजुबान होते है पत्थर तराशा गया है उन्हें इस खूबी से मासूमियत का इजहार करते बच्चे जब भूखे हो दाने
Read Moreसार जग का केवल निहित है रोटी में दुनियादारी भी रोटी के चहुँ ओर चलती है चार दिन को केवल
Read Moreसरिता की कल -कल ध्वनि निर्झर की झर-झर ध्वनि ऋतुराज का मस्तानापन कैसे सूने हृदय में राग जगाये मद में
Read Moreएक इंसान को जो सुबह से शाम काम करता है खेत है सूरज की ज्वाला में जलता जाड़े में सिकुड़ता
Read Moreतुम्हारा विरोधाभास दिखलाना बात-बात पर ना नुकुर करना भाव यह उपेक्षा का दिखलाना
Read Moreमाँ सुन ले करूण पुकार अब आ भी जा मेरे द्वार हार गया हूँ मै तुझे पुकार अब तो दे
Read Moreअब के आबे जब होली पिया ऐसो रंग लगइयों पिया तन मन भीजो दियो प्रीत के रंग में डूबो दियो
Read Moreअप्सरा सी सजी है सुन्दरी कर सोलह श्रृंगार है खडी देह को वर्ण है गौर बड़ी लुभावनी सी लगी गले
Read Moreझूठ न बोले दर्पण हर सच्चाई को उगले औकात हरेक को दिखाए निहारो रूप जब -जब तुम दर्पण में रहस्य
Read Moreजब से नन्हा सा शिशु घर पर मेरे आया गुलशन में फूलों सा आँगन मेरा महकाया कोना -कोना महका जब
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