कुंडलिया
“कुंडलिया” परचम लहराता चला, भारत देश महान। अंतरिक्ष में उड़ रहा, शक्ति साक्ष्य विमान। शक्ति साक्ष्य विमान, देख ले दुनिया
Read Moreबहुत याद आओगे तुम प्यारे गुलशन। बहारों की बगिया खुश्बुओं के मधुबन। कभी भूल मत जाना प्यारी सी चितवन। माफ
Read More8 यगण, 24वर्ण, सरल मापनी — 122/122/122/122/122/122/122/122 प्रभो का दिदारा मिला आज मोहीं, चली नाव मेरी मिली धार योंही। सभी
Read Moreरंगोत्सव पर प्रस्तुत छंदमुक्त काव्य…… ॐ जय माँ शारदा……! “छंदमुक्त काव्य” मेरे आँगन की चहकती बुलबुल मेरे बैठक की महकती
Read Moreअरविंद सवैया[ सगण ११२ x ८ +लघु ] सरल मापनी — 112/112/112/112/112/112/112/112/1 “अरविंद सवैया” ऋतुराज मिला मधुमास खिला मिल ले
Read Moreफागुनी बहार “छंदमुक्त काव्य” मटर की फली सी चने की लदी डली सी कोमल मुलायम पंखुड़ी लिए तू रंग लगाती
Read More“छंद मदिरा सवैया” वाद हुआ न विवाद हुआ, सखि गाल फुला फिरती अँगना। मादक नैन चुराय रहीं, दिखलावत तैं हँसती
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