“कुंडलिया”
“कुंडलिया” तितली रानी मत उड़ो, बिन मेरे आकाश। मैँ भी उड़ना चाहता, बँधकर तेरे पाश।। बँधकर तेरे पाश, संग उड़ा
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Read More“कुंडलिनी” रंग मंच का दृश्य यह, मन को लेता मोह। झंडे के भल रूप से, किसका हुआ बिछोह।। किसका हुआ
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