“कुंडलिया”
आगे सरका जा रहा, समय बहुत ही तेज। पीछे-पीछे भागते, होकर हम निस्तेज॥ होकर हम निस्तेज, कहाँ थे कहाँ पधारे।
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Read Moreशिल्प विधान- कुल मात्रा =30 (10,8,12) 10 और 8 पर अतिरिक्त तुकान्त “छंद चवपैया ” (मात्रिक ) जय जय शिवशंकर,
Read Moreममता माँ की पावनी, छाया पिता दुलार। वंश बेल सम्यक प्रकृति, चर्चित बालक प्यार॥ चर्चित बालक प्यार, रार कब करते
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