“गज़ल”
बह्र- 2122 2122 2122 2, काफ़िया- अर, रदीफ़- दिया मैंने क्या लिखा क्योंकर लिखा क्या भर दिया मैंने कुछ समझ
Read Moreमम्मा ललक दुलार में, नहीं कोई विवाद। तेरी छवि अनुसार मैं, पा लूँ सुंदर चाँद.. पा लूँ सुंदर चाँद, निडर
Read Moreपढ़ते-पढ़ते सो गया, भर आँखों में नींद। शिर पर कितना भार है, लगता बालक बींद॥ लगता बालक बींद, उठाए पुस्तक
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