“गीतिका”
मापनी-2122 212, 2122 212, समांत- आर, पदांत- की गर इजाजत मिल गई, नयन से सरकार की कब खिलाफत हो सकी,
Read Moreमापनी- 2212 122, 2122 122 जब गीत मीत गाए, मन काग बोल भाए विरहन बनी हूँ सखियाँ, जीय मोर डोल
Read Moreबादल घिरा आकाश में, डरा रहा है मोहिं। दिल दरवाजा खोल के, जतन करूँ कस तोहिं॥ जतन करूँ कस तोहिं,
Read Moreसैयां हमार कोतवाली में धरा गइले प्रेम पति दलाली में चौमुख चरचा भइल कोतवाल के सिप्पा लगवले बहाली में थाना
Read Moreआप बचपन में कहाँ थे, आज है क्या हाल देख जाओ गाँव आकर, खो गए हैं ताल। हर नहर सूखी
Read Moreकरो जागरण जाग, सुहाग सजाओ सजना। एक पंथ अनुराग, राग नहिं दूजा भजना। नैहर जाए छूट, सजन घर लूट न
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