“मुक्तक”
“दोहा मुक्तक” परिणय की बेला मधुर, मधुर गीत संवाद। शोभा वरमाला मधुर, मधुर मेंहदी हाथ। सप्तपदी सुर साधना, फेरा जीवन
Read Moreजी तो करता है कि लाज शरम हया सब कुछ छोड़कर पोखरे में जाकर कूद पड़ूँ और पल्थी मारकर उसकी
Read Moreशिल्प विधान –चौपाई +गुरु लघु (16+3=19) अंत में यति गोकुल गलियाँ मोहन खेलें रास। बंसी बाजे मधुवन कोकिल वास॥ दूर
Read Moreछंद -“पद्धरि”(पदपादाकुलक की उपजाति)*शिल्प विधान – मात्रा भार =16, आरम्भ में गुरु अनिवार्य *पदपादाकुलक चौपाई में चार चौकल बनते हैं
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