छन्द- वाचिक गंगोदक
(40 मात्रा, क्रमागत दो-दो चरण तुकान्त, मापनीयुक्त मात्रिक) मापनी – 212 212 212 212, 212 212 212 212, अथवा –
Read More(40 मात्रा, क्रमागत दो-दो चरण तुकान्त, मापनीयुक्त मात्रिक) मापनी – 212 212 212 212, 212 212 212 212, अथवा –
Read Moreअमूमन हर रात को आने का अंदेशा पूर्ववत होता ही है, शायद इस रात को भी खबर है कि आज
Read Moreपाती प्रेम की लिख रहे, चित्र शब्द ले हाथ। अति सुंदरता भर दिये, हरि अनाथ के नाथ।। हरि अनाथ के
Read Moreभरता नृत्य मयूर मन, ललक पुलक कर बाग फहराए उस पंख को, जिसमें रंग व राग जिसमे रंग व राग,
Read Moreमौसम होता प्रौढ़ है, कर लेता पहचान चलती पथ पर सायकल, डगर कहाँ अनजान डगर कहां अनजान, बचपनी साथी राहें
Read More