“गीतिका”
देखों वो जा रहें हैं लगते नहा नहा के आँचल उठाए कर से पानी बहा बहा के फैली हुई हैं
Read Moreजय जय सीताराम, नाम जप लो अनुसारी। रटती रसना नाम, सियापति अवध बिहारी।। राधे राधे श्याम, गीर धरि नख गिरधारी।
Read Moreअब कितनी बार बाँटोगे यही कहकर सुनयना ने सदा के लिए अपनी बोझिल आँख को बंद कर लिया। आपसी झगड़े
Read Moreगागर छलके री सखी, पनघट पानी प्यास आतुर पाँव धरूँ कहाँ, लगी सजन से आस लगी सजन से आस, पास
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