मुक्तक
सुनते रहिये गीत गायकी अपने अपने घर में। धोते रहिए हाथ हमेशा साबुन अपने घर में। आना जाना छोड़ कहीं
Read More“होली गीत” होरी खेलन हम जईबे हो मैया गाँव की गलियाँ सरसों के खेतवा फुलईबे हो मैया गाँव की गलियाँ।।
Read More“दोहा गीतिका” री बसंत क्यों आ गया लेकर रंग गुलाल कैसे खेलूँ फाग रस, बुरा शहर का हाल चिता जले
Read More“मुक्त काव्य” पेड़ आम का शाहीन बाग में खड़ा हूँ फलूँगा इसी उम्मीद में तो बढ़ा हूँ जहाँ बौर आना
Read More“दोहा गीतिका” मुट्ठी भर चावल सखी, कर दे जाकर दान गंगा घाट प्रयाग में, कर ले पावन स्नान सुमन भाव
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