“गज़ल”
बह्र- 212 212 212 212, काफ़िया – अने, रदीफ़- देखिए आइना पास है सामने देखिए सूरतों की कसक मायने देखिए
Read Moreरानी बैठी रूपिणी, लेकर पींछी साज बादल को रँगने चली, मानों घर का राज मानों घर का राज, नाज रंगों
Read Moreरे माँ तेरे चरणों में, सगरो तीरथ सुरधामा करुणाकारी आँचल में, मोहक ममता अभिरामा॥ सुख की सरिता लहराती, तेरे नैनों
Read More