“कुंडलिया”
घेरी क्षितिजी लालिमा, सूरज साँझ विहान रे मन तुझसे क्या कहूँ, कली कली मुस्कान कली कली मुस्कान, यही है शोभा
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Read Moreगौतम गोत्रीय मिश्र परिवार का पुस्तैनी गाँव भरसी बुजुर्ग आज भी उन तमाम रीतियों, परंपराओं और संस्कारों को उसी रूप
Read Moreविधान~ 4 चरण,2-2 चरण समतुकांत। विषम पाद- सगण सगण सगण गुरु(10वर्ण) 112 112 112 2 सम पाद-भगण भगण भगण गुरु
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