“नवगीत”
रुक जाओ तुम जहाँ खड़े हो, बढ़ा न देना उठे कदम नप जाएगी सारी धरती कदम कदम यदि उठे कदम
Read Moreविधान~ [भगण नगण जगण जगण सगण ] *(211 111 12, 1 121 112)*, 15वर्ण, 4 चरण,(यति 8-7), दो-दो चरण समतुकांत
Read Moreजब मन में उगती फसल, तब लहराते खेत खाद खपत बीया निरत, भर जाते चित नेत हर ऋतु में पकती
Read Moreनाचत हिरन वहाँ, वनराज वन में सोहत मुकुट जहाँ, युवराज धन में।। मोहक किरन कली, हमराज अपना नाहक फिरन चली,
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