“गज़ल”
आप की आज छवि देखता रह गया उन निगाहों में हवि फेंकता रह गया जो दिखा देखने की न आदत
Read More“हीत मीत नात घर जोहा, तब खेतन में मुजहँन शोहा” मटका का कुर्ता और परमसुख की धोती झहरा के झिनकू
Read Moreनयन सुखारे, वचन विचारे बुधि सुधि सब सुख, हरि चित लाए। लय बिन रागा, विचलित कागा चरन कमल प्रभु, रिधि
Read Moreगैया मेरी काबरी, मुझे पिलाये दूध गर्मी बेपरवाह है, हौका पानी धूध् हौका पानी धूध्, खुले आकाश विचरती मैली हुई
Read Moreमुंह देखी मत बात बनाओ रोज रोज कस होठ चबाओ हाव भाव रखे मिलता मान ए सखि सोहबत, न सखि
Read Moreफूल लोढ़ने की डलिया हर सुबह, बसंती के हाथों में उछल- ककूदकर अपने आप ही आ जाती है मानों उसके
Read Moreशिल्प:- [सगण सगण(112 112), दो-दो चरण तुकांत (6वर्ण प्रति चरण ) “तिलका छंद” नयना पुलके मनवा हरषे।। चढ़ती बदरी अतुरी
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