हास्य व्यंग – दोहा, मुक्तक
“दोहा” झूठ मूठ का हास्य है, झूठ मूठ का व्यंग। झूठी ताली दे सजन, कहाँ प्रेम का रंग।। “मुक्तक” अजब
Read More“दोहा” झूठ मूठ का हास्य है, झूठ मूठ का व्यंग। झूठी ताली दे सजन, कहाँ प्रेम का रंग।। “मुक्तक” अजब
Read More“मुक्तकाव्य” वो जाग रहा है हमारी सुखनिद्रा के लिए अमन चैन के लिए सीमा की चौहद्दी के लिए और आप!
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