“दोहा
श्रीमती जी सुखी हुई, बीत गया शुक्रवार गजल अधूरी रह गई, कलम हुई लाचार।। लिखने बैठा गीतिका, मौसम था खुशहाल
Read Moreअक्सर लोग कहा करें, सबके अलग नशीब कहाँ गरीबी के यहाँ, आए खुशी करीब आए खुशी करीब, रहें उम्मीदें बोझिल
Read Moreक्षीरसिंधु पद्मावती, हरीप्रिया हरि साथ कमल कमलिनी सह खिले, रमा सहित प्रभुनाथ रमा सहित प्रभुनाथ, इंदिरा पदमा कमला शेषनाग सुखपाय,
Read Moreकुहरे की चादर तनी, ठंड बढ़ी बेजोड़ तपते सूरज ढ़क गए, सूझ सड़क नहि मोड़ सूझ सड़क नहि मोड़, गाडियाँ
Read Moreशीर्षक — खुशहाल ,सम्पन्न, समृध्द समृद्धि तुझको कब कहें, रहती तूँ खुशहाल संपन्नता नजीर है, क्यों रहती पैमाल सुख समीप
Read Moreजीवन जीते हैं सभी, कुछ होते अनमोल वही तराना लय वही, रख देते दिल खोल रख देते दिल खोल, झूम
Read More