“दोहा मुक्तक”
कली कली कहने लगी, मत जा मुझको छोड़ कल तो मैं भी खिलूंगी, पुष्प बनूँगी दौड़ नाहक न परेशान हो,
Read Moreकली कली कहने लगी, मत जा मुझको छोड़ कल तो मैं भी खिलूंगी, पुष्प बनूँगी दौड़ नाहक न परेशान हो,
Read Moreचलती रही है जिंदगी, मानक माफक रैन जो मिला जैसे मिला, माना निधि व चैन माना निधि व चैन, पहुँच
Read More“मतलबी मंशा” वह रात भी एक रात थी, जिसके आगोश में कितनों के अरमान डोली चढ़कर जनवासे की झालर की
Read Moreकार्तिक मासी पुर्णिमा, तीरथ गंग महान पूर्ण चंद्रमा खिल उठा, पुण्य प्रयाग नहान पुण्य प्रयाग नहान, कथा त्रिपुरारी महिमा त्रिपुटि
Read Moreसुबह से शाम हुई कतारें बदनाम हुई धक्का मुक्की बोला चाली काका हजारी की राम राम हुई।। दिन भर चले
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