“गजल/गीतिका”
वज्न- 2122, 2122 2122, 212 आदमी चलता कहाँ उठता कदम बिन बात के हो रहा गुमराह देखो, हर घड़ी बिन
Read Moreवज्न- 2122, 2122 2122, 212 आदमी चलता कहाँ उठता कदम बिन बात के हो रहा गुमराह देखो, हर घड़ी बिन
Read Moreगीतात्मक मुक्त काव्य, “चल अब लौट चलें” अब हम लौट चलें, चल घर लौट चलें चाखी कितनी बानगी, चल अब
Read Moreमानव के मन में बसी, मानवता की चाह दानव की दानत रही, कलुष कुटिलता आह कलुष कुटिलता आह, मुग्ध पाजी
Read Moreकाफिया- अर, रदीफ़- जाते , वज्न- 1222 1222 1222 1222 बहुत अब हो गई बातें, बहुत अरमान शुभ रातें विवसता
Read Moreबर्फ़ीले पर्वत धरें, चादर चाह सफ़ेद लाल तिरंगा ले खड़ा, भारत किला अभेद भारत किला अभेद, हरा केसरिया झंडा शुभ्र
Read Moreशीर्षक मुक्तक , अहंकार- दंभ, गर्व, अभिमान, दर्प, मद, घमंड, मान शब्द आन बान अरु शान पर, बना रहे अभिमान अहंकार
Read Moreढोंगी करता ढोंग है, नाच जमूरे नाच बांदरिया तेरी हुई, साँच न आए आंच साँच न आए आंच, मुर्ख की
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