हास्य व्यंग्य
हास्य व्यंग्य आधारित सृजन “चमचा भाई” काहो चमचा भाई कैसे कटी रात हरजाई भोरे मुर्गा बोले कूँ कूँह ठंडी की
Read Moreहास्य व्यंग्य आधारित सृजन “चमचा भाई” काहो चमचा भाई कैसे कटी रात हरजाई भोरे मुर्गा बोले कूँ कूँह ठंडी की
Read More“मुक्तकाव्य” कुछ कहना चाहता है गगन बिजली की अदा में है मगन उमड़ता है घुमड़ता भी है टपकता और तड़फता
Read More“मुक्त काव्य” न बैठ के लिखा, न सोच के लिखा तुझे देखा तो रहा न गया और खत लिखा जब
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