लेख– मानवता का धर्म क्यों भूल रहा हमारा समाज
आज हमारे समाज में मानवता रूपी फूल मुरझा सा गया है। आभासी दुनिया में लोग इतने मशगूल हो गए हैं,
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Read Moreशायद आज की युवा राजनीति में इंकलाब की गूंज ठंडी पड़ गई है। युवा किन्हीं कारणवश सिर्फ़ कहने को युवा
Read Moreपृथ्वी के प्राकृतिक संसाधनों में हवा, पानी, मिट्टी, खनिज, ईंधन, पौधे और पशु-पक्षी शामिल हैं। इन संसाधनों की देखभाल करना
Read Moreअगर राजनीतिक दल सिर्फ़ चुनावी जुमलों औऱ आपसी आक्षेप की राजनीति में ही उलझे रहेंगे, फ़िर समाज के अंतिम व्यक्ति
Read Moreकिसी राज्य में दस लाख छात्र अगर परीक्षा छोड़ दें। तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि हालात कहाँ पहुंच
Read Moreयह कैसी अजीब घड़ी से देश गुजर रहा है। देश में राजनीति करने के लिए महात्मा गांधी की प्रासंगिकता तो
Read Moreवर्तमान राजनीति का शाश्वत सत्य यह है, कि वह आज के दौर में झूठ की नींव पर ख़डी हो रहीं
Read Moreकहते हैं, स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है, औऱ स्वस्थ मस्तिष्क होगा, तभी समाज को स्वस्थ बनाने
Read Moreहरियाणा में एक छात्र ने प्राचार्य को मौत की नींद सुला दिया। उसके पहले उत्तर प्रदेश में एक छात्र ने
Read Moreसंविधान में समान अधिकार, अवसर की समता का ज़िक्र किया गया है। संविधान में कहीं भी स्त्री-पुरूष में विभेद नहीं
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