Author: महेश तिवारी

सामाजिक

लेख– रोजगार के लिए हथेली पर जान लेकर कहाँ तक घूमेगा देश का युवा?

राजनीतिक पृष्ठभूमि दावा करती है, कि हम नित नए विकास के आयाम लिख रहें हैं। साथ में रहनुमाई व्यवस्था के

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राजनीति

लेख– युवाओं को दरकिनार करके आज की परिस्थिति में नहीं चल सकती राजनीति

राजनीति में ऊँट कब औऱ किस करवट बैठेगा, यह कहना अतिश्योक्ति से कम नहीं होगा। वह भी आज के सामाजिक

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सामाजिक

लेख– पुलिस तंत्र की खामियां दूर होने पर ही अपराध मुक्त बनेगा प्रदेश

अगर किसी राज्य या देश में अपराधिक प्रवृत्ति बेलगाम हो जाएं। तो इसका सीधा सा अर्थ है पुलिसिया तंत्र कमज़ोर

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राजनीति

लेख– उपचुनाव के संकेत औऱ विपक्षी एकता की तरफ़ बढ़ता देश

भारतीय राजनीतिक परिदृश्य में बीते दिनों कुछ ऐसी घटनाएं घटी। जिसकी आवाज़ औऱ खनक के कई मायने औऱ अर्थ निकलते

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सामाजिक

लेख– नक्सलियों से निपटने के लिए नए सिरे से नीतियां क्यों नहीं बनती?

सुकमा में बीते दिनों जो हुआ, वह लोकतांत्रिक परिवेश के सत्तर वर्षों में कोई पहली दफ़ा नहीं हुआ हैं। जब

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

लेख– हिन्दू नववर्ष अपने में समेटे हुआ सामाजिक औऱ ऐतिहासिक महत्व

किसी देश को विश्व परिदृश्य पर श्रेष्ठ उसे उसकी संस्कृति औऱ सभ्यता बनाती है। ऐसे में अगर हम विश्व का

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