कविता : खजाना
अभी भी भरा है मेरे लफ्ज़ो का खज़ाना कलम का मेरी अभी भी है आना जाना पर रूक सा गया
Read Moreअभी भी भरा है मेरे लफ्ज़ो का खज़ाना कलम का मेरी अभी भी है आना जाना पर रूक सा गया
Read Moreमुद्दत बाद आज आंसू पोंछ भी रहे हो तो क्या ‘मंजु’ सारी उम्र का तो वादा नहीं किया तुमने ‘मंजु’
Read Moreचाँदनी को अपनी मुट्ठी में भींच कर “मंजू” कब तक चलती रहूँ मैं कितनी सर्द हो गई है हथेली कब
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