कविता – दर्द
दर्द मुझ से गुनगुनाते हुये तन्हाई में अक्सर पूछता है मैं तो पूरी शिद्दत से वफा निभाता हूँ भोर –
Read Moreदर्द मुझ से गुनगुनाते हुये तन्हाई में अक्सर पूछता है मैं तो पूरी शिद्दत से वफा निभाता हूँ भोर –
Read Moreइठलाता लहराता चाँद लेने की जिद कर मचल कर रुठता झील में परछांई देख ख़ुशी से नाचता परिंदों को पकड़ने
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