Author: *मनमोहन कुमार आर्य

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ऋषि दयानन्द ने वेदों में भरे ज्ञान भण्डार से मानव जाति को परिचित कराया

ओ३म् महाभारत के बाद वेदों की रक्षा एवं प्रचार के लिये उत्तरादायी लोगों के आलस्य प्रमाद के कारण वेद विलुप्त

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ऋषि दयानन्द ने आर्यसमाज और सत्यार्थप्रकाश के द्वारा वेदों की रक्षा का महान कार्य किया

ओ३म् ऋषि दयानन्द को अपने बाल्यकाल में सच्चे ईश्वर की खोज तथा मृत्यु पर विजय प्राप्ति के उपाय जानने की

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

सन्ध्या व देवयज्ञ कर मनुष्य जीवन को शुद्ध व पवित्र बनाना चाहिये

ओ३म् मनुष्य का जीवन शुद्ध व पवित्र होना चाहिये। शुद्ध एवं पवित्र जीवन के अनेक लाभ होते हैं। इससे आत्मा

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

वैदिक धर्म त्रैतवाद, पुनर्जन्म, कर्म-फल व मोक्ष के सिद्धान्तों के कारण यथार्थ एवं महान है

ओ३म् संसार में अनेक मत-मतान्तर प्रचलित हैं। यह सब मत-मतान्तर ही हैं परन्तु इसमें धर्म वेदों से आविर्भूत सिद्धान्तों के

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अन्य लेख

ऋषि दयानन्द ने ऋषि परम्परा का निर्वहन करते हुए वेद परम्पराओं को पुनर्जीवित किया

ओ३म् आदि काल से महाभारत काल तक देश देशान्तर में ईश्वरीय ज्ञान वेदों का प्रचार था। वेद सृष्टि की आदि

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

मनुष्य को परमात्मा से श्रेष्ठ बुद्धि तथा दुर्गुणों को दूर करने की प्रार्थना करनी चाहिये

ओ३म् हमें मनुष्य जीवन परमात्मा से मिला है। परमात्मा ने ही जीवात्माओं के लिए इस सृष्टि को उत्पन्न किया है।

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ऋषि दयानन्द ने ईश्वर के सत्यस्वरूप को स्थापित करने का प्रयास किया

ओ३म् ऋषि दयानन्द ने अपने जीवन में अविद्या दूर करने सहित अनेक सामाजिक कार्य किये। उनका एक प्रमुख कार्य ईश्वर

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

सत्यार्थप्रकाश से वेदों के महत्व तथा मत-मतान्तरों की अविद्या का ज्ञान होता है

ओ३म् मनुष्य को यह ज्ञान नहीं होता है कि उसके लिये क्या आवश्यक एवं उचित है जिसे करके वह अपने

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ऋषि दयानन्द ने ईश्वर के सत्यस्वरूप को जानना सरल बना दिया

ओ३म् संसार में जानने योग्य यदि सबसे अधिक मूल्यवान कोई सत्ता व पदार्थ हैं तो वह ईश्वर व जीवात्मा हैं।

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

वैदिक धर्म दुःखों से रक्षार्थ सत्य को धारण करने की प्रेरणा करता है

ओ३म् मनुष्य का जो ज्ञान होता है वह सत्य व असत्य दो कोटि का होता है। मनुष्य के कर्म भी

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