ऋषि दयानन्द ने वेदों में भरे ज्ञान भण्डार से मानव जाति को परिचित कराया
ओ३म् महाभारत के बाद वेदों की रक्षा एवं प्रचार के लिये उत्तरादायी लोगों के आलस्य प्रमाद के कारण वेद विलुप्त
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Read Moreओ३म् ऋषि दयानन्द को अपने बाल्यकाल में सच्चे ईश्वर की खोज तथा मृत्यु पर विजय प्राप्ति के उपाय जानने की
Read Moreओ३म् मनुष्य का जीवन शुद्ध व पवित्र होना चाहिये। शुद्ध एवं पवित्र जीवन के अनेक लाभ होते हैं। इससे आत्मा
Read Moreओ३म् संसार में अनेक मत-मतान्तर प्रचलित हैं। यह सब मत-मतान्तर ही हैं परन्तु इसमें धर्म वेदों से आविर्भूत सिद्धान्तों के
Read Moreओ३म् आदि काल से महाभारत काल तक देश देशान्तर में ईश्वरीय ज्ञान वेदों का प्रचार था। वेद सृष्टि की आदि
Read Moreओ३म् हमें मनुष्य जीवन परमात्मा से मिला है। परमात्मा ने ही जीवात्माओं के लिए इस सृष्टि को उत्पन्न किया है।
Read Moreओ३म् ऋषि दयानन्द ने अपने जीवन में अविद्या दूर करने सहित अनेक सामाजिक कार्य किये। उनका एक प्रमुख कार्य ईश्वर
Read Moreओ३म् मनुष्य को यह ज्ञान नहीं होता है कि उसके लिये क्या आवश्यक एवं उचित है जिसे करके वह अपने
Read Moreओ३म् संसार में जानने योग्य यदि सबसे अधिक मूल्यवान कोई सत्ता व पदार्थ हैं तो वह ईश्वर व जीवात्मा हैं।
Read Moreओ३म् मनुष्य का जो ज्ञान होता है वह सत्य व असत्य दो कोटि का होता है। मनुष्य के कर्म भी
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