ऋषि दयानन्द ने सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ मत-मतान्तरों की अविद्या दूर करने के लिये लिखा था
ओ३म् ऋषि दयानन्द सरस्वती जी का सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ देश देशान्तर में प्रसिद्ध ग्रन्थ है। ऋषि दयानन्द ने इस ग्रन्थ को
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Read Moreओ३म् मनुष्य जन्म लेता है परन्तु उसे यह पता नहीं होता कि उसके जन्म लेने व परमात्मा के जन्म देने
Read Moreओ३म् हमारा यह संसार 1.96 अरब वर्षों से अधिक समय पूर्व बना था। तब से यह जीवों के आवागमन व
Read Moreओ३म् मनुष्य ईश्वर का बनाया हुआ एक चेतन प्राणी है जिसके पास पांच ज्ञान एवं पांच कर्म इन्द्रियों से युक्त
Read Moreओ३म् मनुष्य की अपनी अपनी आवश्यकतायें एवं इच्छायें हुआ करती हैं। वह उनकी पूर्ति के लिये प्रयत्न भी करते हैं।
Read Moreओ३म् हम एक बहु प्रचारित विचार को पढ़ रहे थे जिसमें कहा गया है ‘ईश्वर में आस्था है तो मुश्किलों
Read Moreओ३म् मनुष्य के जीवन की आवश्यकता है सद्ज्ञान की प्राप्ति और उसको धारण करना। बिना सद्ज्ञान के उसका जीवन सही
Read Moreओ३म् महर्षि दयानन्द ने ईश्वर प्रदत्त ज्ञान चार वेदों की भूमिका स्वरूप जिस ग्रन्थ का निर्माण किया है उसका नाम
Read Moreओ३म् सृष्टि के आरम्भ में परमात्मा ने वनस्पति जगत सहित पृथिवी पर अग्नि, जल, वायु, आकाश आदि पदार्थ प्रदान किये
Read Moreओ३म् हमारा यह संसार एक सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, अनादि, नित्य तथा सर्वशक्तिमान सत्ता से बना है। ईश्वर में अनन्त गुण हैं।
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