Author: *मनमोहन कुमार आर्य

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ऋषि दयानन्द द्वारा हिन्दी अपनाने से इसका देश देशान्तर में प्रचार हुआ

ओ३म् आज हम जिस हिन्दी भाषा का प्रयोग करते हैं उसका उद्भव एवं विकास विगत लगभग दो सौ वर्षों में

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ऋषि दयानन्द कृत सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ मनुष्य को सन्मार्ग दिखाता है

ओ३म् परमात्मा ने जीवात्मा को उसके पूर्वजन्म के कर्मानुसार मनुष्य जीवन एवं प्राणी योनियां प्रदान की हैं। हमारा सौभाग्य हैं

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

मर्यादा पुरुषोत्तम राम के जीवन, आदर्शों एवं पावन स्मृति को सादर  नमन

ओ३म् मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम वैदिक धर्म एवं संस्कृति के आदर्श हैं। उनका जीवन एवं कार्य वैदिक धर्म की मर्यादाओं

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

स्वाध्याय एवं यज्ञ से जीवन की उन्नति व सुखों की प्राप्ति होती है

ओ३म् परमात्मा ने मनुष्य की जीवात्मा को मानव शरीर किसी विशेष प्रयोजन से दिया है। पहला कारण हमें अपना अपना

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

आर्यसमाज सत्य सिद्धान्तों पर आधारित एक धार्मिक एवं सामाजिक संगठन है

ओ३म् आर्यसमाज एक धार्मिक एवं सामाजिक संगठन है जो विद्या से युक्त तथा अविद्या से सर्वथा मुक्त सत्य सिद्धान्तों को

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

वैदिक धर्म ज्ञान-विज्ञान पर आधारित संसार का प्राचीनतम एवं धर्म है

ओ३म् वैदिक धर्म वेदों का आधारित संसार का ज्ञान व विज्ञान सम्मत प्राचीनतम धर्म है। वैदिक धर्म का आरम्भ सृष्टि

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

वेद मानवता व नैतिक मूल्यों के प्रसारक विश्व के प्राचीनतम ग्रन्थ हैं

ओ३म् सृष्टि का आरम्भ सर्वव्यापक एवं सर्वशक्तिमान ईश्वर से सभी प्राणियों की अमैथुनी सृष्टि के द्वारा हुआ था। सृष्टि के

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

सर्गारम्भ से वेद बिना भेदभाव मनुष्यों की अविद्या दूर कर रहे हैं

ओ३म् हमारी यह सृष्टि सर्वव्यापक, सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ, सच्चिदानन्दस्वरूप, अनादि व नित्य परमात्मा से बनी है। ईश्वर, जीव तथा प्रकृति तीन

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

विश्व में वेदों के प्रचार का श्रेय ऋषि दयानन्द और आर्यसमाज को है

ओ३म् पांच हजार वर्ष पूर्व हुए महाभारत युद्ध के बाद वेदों का सत्यस्वरूप विस्मृत हो गया था। वेदों के विलुप्त

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