Author: *मनमोहन कुमार आर्य

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

आत्मा का जन्म, मृत्यु एवं पुनर्जन्म का सिद्धान्त सत्य सिद्धान्त है

ओ३म् मनुष्य एक चेतन प्राणी है। चेतन प्राणी होने से प्रत्येक मनुष्य व इतर प्राणियों के शरीर में एक जैसी

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

अद्वितीय महापुरुष योगेश्वर कृष्ण का जीवन प्रेरक एवं अनुकरणीय है

ओ३म् मनुष्य का जन्म आत्मा की उन्नति के लिये होता है। आत्मा की उन्नति में गौण रूप से शारीरिक उन्नति

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

वेदों का स्वाध्याय एवं वैदिक जीवन जीने का पर्व है श्रावणी पर्व

ओ३म् श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन देश के आर्य व हिन्दू बन्धु श्रावणी पर्व को मनाते हैं। वैदिक धर्म

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

मनुष्य धर्मानुसार तथा सत्य असत्य को विचार कर ही आचरण करें

ओ३म् परमात्मा ने मनुष्य को सबसे मूल्यवान् वस्तु उसके शरीर में बुद्धि के रूप में दी है। बुद्धि से हम

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ऋषि दयानन्द ने मत-मतान्तरों की परीक्षा कर वेदानुकूल सत्य के ग्रहण का सिद्धान्त दिया

ओ३म् ऋषि दयानन्द ने अपने ज्ञान व ऊहा से वेदों को सृष्टि के आरम्भ में चार ऋषियों को सर्वव्यापक परमात्मा

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ऋषि दयानन्द जी का गुरु विरजानन्द से विद्या प्राप्ति का उद्देश्य व उसका परिणाम

ओ३म् ऋषि दयानन्द ने सच्चे शिव वा ईश्वर को जानने के लिए अपने पितृ गृह का त्याग किया था। इसके

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

एक अकेला ईश्वर सृष्टि की उत्पत्ति, पालन व प्रलय कैसे कर सकता है?

ओ३म् वैदिक धर्मी मानते हैं कि संसार में ईश्वर एक है और वही इस सृष्टि का रचयिता, पालनकर्ता तथा प्रलयकर्ता

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ऋषि दयानन्द और आर्यसमाज ने देश-धर्म-संस्कृति को क्या योगदान किया?

ओ३म् भारत देश, इसका धर्म वैदिक धर्म एवं वैदिक संस्कृति संसार में प्राचीनतम हैं। संसार में प्रचलित मत-मतान्तरों को तो

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ईश्वर की न्याय व्यवस्था सर्वज्ञता पर आधारित होने से निर्दोष है

ओ३म् संसार में अनेक देश हैं जिनमें अपनी अपनी न्याय व्यवस्था स्थापित वा कार्यरत है। सभी देशों की न्याय व्यवस्थायें

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