Author: *मनमोहन कुमार आर्य

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

संसार में अनादि पदार्थ कौन-कौन से व कितने हैं?

ओ३म् हम संसार में सूर्य, चन्द्र, पृथिवी आदि अनेक लोकान्तर तथा पृथिवी पर अनेक पदार्थों को देखते हैं। हमें यह

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

जन्म-मृत्यु का चक्र आत्मा की मुक्ति व अनन्तकाल तक चलेगा

ओ३म् विज्ञान एवं दर्शन का नियम है कि अभाव से भाव पदार्थ उत्पन्न नहीं होता और भाव पदार्थों का अभाव

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

पाप कर्मों का त्याग तथा वेद धर्माचरण ही जन्म-जन्मान्तरों में सुख व उन्नति का आधार है

ओ३म् मनुष्य को यह जन्म उसके पूर्वजन्मों के पाप–पुण्यरूपी कर्मों के आधार पर मिला है। वह इस जन्म में जो

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

हमें अपनी आत्मा व इसके स्वरूप को जानने का प्रयत्न करना चाहिये

ओ३म् हम मनुष्य हैं। हमारे पास मनन, चिन्तन, विचार, ध्यान व सत्यासत्य का निर्णय करने के बुद्धि है। इन साधनों

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ईश्वर की उपासना मनुष्य का प्रमुख आवश्यक कर्तव्य क्यों हैं?

ओ३म् मनुष्य के अनेक कर्तव्य होते हैं। जो मनुष्य अपने सभी आवश्यक कर्तव्यों का पालन करता है वह समाज में

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

मुक्ति में आत्मा को जन्म-मरण से अवकाश एवं अलौकिक सुखों की प्राप्ति

ओ३म् मनुष्य दुःख से घबराता है तथा सुख की प्राप्ति के लिये ही कर्मों में प्रवृत्त होता है। वह जो

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

सद्ज्ञानयुक्त वैदिक धर्म के प्रचार में बाधक अविद्यायुक्त बातें एवं संगठन

ओ३म् वैदिक धर्म सत्य ज्ञान ‘चार-वेदों’ पर आधारित मानव धर्म है। वैदिक धर्म का आरम्भ ईश्वर से प्राप्त चार वेदों

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ऋषि दयानन्द का मुख्य उद्देश्य वेद तथा देशभक्ति का प्रचार था

ओ३म् ऋषि दयानन्द वेदों के अपूर्व ऋषि थे। उनके जैसे ऋषि का इतिहास में वर्णन नहीं मिलता। सृष्टि के आरम्भ

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