स्वाध्याय एवं ईश्वरोपासना जीवन में आवश्यक एवं लाभकारी हैं
ओ३म् मनुष्य आत्मा एवं शरीर से संयुक्त होकर बना हुआ एक प्राणी हैं। आत्मा अति सूक्ष्म तत्व व सत्ता है।
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Read Moreओ३म् मनुष्य की प्रमुख आवश्यकता सद्ज्ञान है जिससे युक्त होकर वह अपना जीवन सुखपूर्वक व्यतीत कर सके और संसार व
Read Moreओ३म् संसार में अनेक मार्ग हैं जिन पर चलकर मनुष्य इच्छित अनेक लक्ष्यों वा गन्तव्यों पर पहुंचते हैं। इसी प्रकार
Read Moreओ३म् महर्षि दयानन्द सृष्टि की आदि में प्रवृत्त वैदिक ऋषि परम्परा वाले एक ऋषि थे। उन्होंने विलुप्त वेदों का अत्यन्त
Read Moreओ३म् सत्यार्थप्रकाश ऋषि दयानन्द द्वारा सन् 1874 में लिखा गया ग्रन्थ है। ऋषि दयानन्द ने सन् 1883 में इसको संशोधित
Read Moreओ३म् किसी भी देश की उन्नति, सुरक्षा व सामथ्र्य उसकी युवा पीढ़ी के नैतिक व चारित्रिक गुणों पर निर्भर करती
Read Moreओ३म् हमारा यह संसार एक अपौरुषेय सत्ता द्वारा बनाया गया है। वही सत्ता इस संसार को बनाती है व चलाती
Read Moreओ३म् मनुष्य मननशील प्राणी को कहते हैं। मनन का अर्थ सत्यासत्य का विचार करना होता है। सत्यासत्य के विचार करने
Read Moreओ३म् अधिकांश मनुष्यों को यह नहीं पता कि संसार में ईश्वर है या नहीं? जो ईश्वर को मानते हैं वह
Read Moreओ३म् ऋषि दयानन्द संसार के सभी मनुष्यों व महापुरुषों से अलग थे। उनका जीवन वेदज्ञान, योग सिद्धि तथा ब्रह्मचर्य की
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