Author: *मनमोहन कुमार आर्य

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

सृष्टि का सबसे प्राचीन हमारा प्राणों से प्रिय आर्यावर्त वा भारत देश

ओ३म् हमारा देश भारत नाम से जाना जाता है। यह नाम इसका परवर्तित नाम है। हमारे देश की धर्म, संस्कृति

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ईश्वर अनादि काल से हमारा साथी है और हमेशा रहेगा

ओ३म् अथर्ववेद के एक मन्त्र ‘अन्ति सन्तं न जहात्यन्ति सन्तं न पश्यति। देवस्य पश्य काव्यं न ममार न जीर्यति।।’ में

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

अग्निहोत्र यज्ञ एक आध्यात्मिक एवं पूर्ण कल्याणप्रद कर्म है

ओ३म् वैदिक धर्म का आरम्भ ईश्वर प्रदत्त वेदज्ञान से सृष्टि के आरम्भ में अमैथुनी सृष्टि में उत्पन्न ऋषियों व मनुष्यों

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

अविद्या का नाश और विद्या की वृद्धि बुद्धिमान मनुष्य का कर्तव्य

ओ३म् मानव शरीर ही ऐसा साधन है कि जिसे प्राप्त कर जीवात्मा अपने शरीर, आत्मा व बुद्धि के द्वारा ज्ञान

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ऋषि दयानन्द के समाज सुधार के कार्य

ओ३म् आर्यसमाज के इतिहास में महात्मा नारायण स्वामी जी का गौरवपूर्ण स्थान है। आप आर्यसमाज के शीर्ष विद्वान एवं ऋषिभक्त

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

श्रेष्ठ धन इहलोक व परलोक में जीवात्मा का हितकारक

मनुष्य को अपना जीवन जीनें के लिए धन की आवश्यकता होती है। भूमिधर किसान तो अपने खेतों में अन्न व

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

श्रीकृष्ण और शाल्व का सौभनगर (अलवर) में हुए युद्ध का वर्णन

ओ३म् श्रीकृष्ण भारतीय संस्कृति के आदर्श पुरुषों में से एक हैं। महर्षि दयानन्द ने उन्हें आप्त पुरुष कहा है। महाभारत

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ईश्वर सभी शुभ-अशुभ कर्मों का फलदाता होने से न्यायाधीश है

ओ३म् संसार में तीन अनादि एवं नित्य सत्तायें हैं ईश्वर, जीव एवं प्रकृति। संसार की यह तीन सत्तायें सनातन एवं

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ऋषि दयानन्द ने सभी सुखों का त्याग कर वेदप्रचार क्यों किया?

ओ३म् ऋषि दयानन्द ने 10 अप्रैल, सन् 1875 को मुम्बई में आर्यसमाज की स्थापना की और इसके द्वारा संगठित रूप

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