क्या व्यवहार में हम ईश्वर को अपने सभी कर्मों का साक्षी मानते व बुरे कर्मों से डरते हैं?
ओ३म् हम यह लेख लिख रहे हैं इसलिये कि हमारे मन में यह विचार आया है। हमने अपने जीवन में
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Read Moreओ३म् संसार में अनेक मत मतान्तर प्रचलित हैं। सभी अपने आप को मत, पन्थ आदि न कह कर ‘‘धर्म” कहते
Read Moreओ३म् हम संसार में जीवन व मृत्यु का नियम संचालित होता देखते हैं। प्रतिदिन यत्र-तत्र कुछ परिचित व अपरिचित लोगों
Read Moreओ३म् –वैदिक साधन आश्रम तपोवन द्वारा संचालित ‘तपोवन विद्या निकेतन’ का वार्षिकोत्सव– वैदिक साधन आश्रम तपोवन देहरादून का पांच दिवसीय
Read Moreओ३म् वैदिक साधन आश्रम, तपोवन-देहरादून के शरदुत्सव के चौथे दिन का प्रातःकालीन आयोजन प्रातः 5.00 बजे से योगासन एवं ध्यान
Read Moreओ३म् आर्यसमाज में वेद ज्ञान पर आधारित अमृत वर्षा करने वाले अनेक भजनोपदेशक हैं, पंडित नरेशदत्त आर्य उनमें एक विशिष्ट
Read Moreओ३म् वेद और वैदिक परम्परा में ईश्वर व जीवात्मा को सनातन, अजन्मा, अमर, अविनाशी, जन्म व मरण के बन्धन में
Read Moreओ३म् मनुष्य मननशील प्राणी है। मनुष्य अन्नादि से बना भौतिक शरीर मात्र नहीं है अपितु इसमें एक अनादि, नित्य, अविनाशी,
Read Moreओ३म् संसार में मुख्यतः दो प्रकार की जीवन शैली एवं संस्कृतियां हैं। एक त्याग की ओर प्रवृत्त करती हैं तो
Read Moreओ३म् मनुष्य क्या वास्तव में मनुष्य है? यह प्रश्न इसलिये करना पड़ रहा है कि किसी देश व समाज के
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