Author: *मनमोहन कुमार आर्य

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

क्या हमें अपना, अपने अतीत और भविष्य का पता है?

ओ३म् हम इस जन्म में मनुष्य योनि में उत्पन्न हुए हैं। हम क्या हैं, यह अधिकांश मनुष्यों को ज्ञात नहीं

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

सृष्टिकर्ता ईश्वर की आज्ञाओं का प्रचारक-प्रसारक है आर्यसमाज

ओ३म् आर्यसमाज एक संगठन है जिसकी स्थापना वेदों के उच्च कोटि के विद्वान, योगी व आप्त पुरुष ऋषि दयानन्द सरस्वती

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

लघु-ग्रन्थ भ्रान्ति-निवारण में विद्यमान उपयोगी कुछ ऋषि-वचन

ओ३म् ऋषि दयानन्द ने एक लघु-ग्रन्थ ‘भ्रान्ति–निवारण’ लिखा है। यह लघु-ग्रन्थ ऋषि दयानन्द ने पंडित महेशचन्द्र न्यायरत्न, कलकत्ता की पुस्तक

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इतिहास

पराधीन भारत में अंग्रेजों की आर्यसमाजियों पर क्रूर दृष्टि के कुछ उदाहरण

पराधीन भारत में अंग्रेज पादरियों और अधिकारियों की आर्यसमाज के अनुयायियों पर कू्रर दण्डात्मक दृष्टि थी। इसके लगभग 24 उदाहरण

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

वेद, ईश्वर, जीवात्मा और प्रकृति के सत्य स्वरुप का प्रचार करने से आर्यसमाज मुझे प्रिय है

ओ३म् संसार में सत्य और असत्य तथा विद्या और अविद्या का अस्तित्व है और मनुष्य को दोनों का ज्ञान होना

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

विद्यायुक्त सत्य वैदिक धर्म की उन्नति में बाधायें

ओ३म् वैदिक धर्म संसार का सबसे प्राचीनतम एवं ज्ञान विज्ञान से युक्त प्राणी मात्र का हितकारी धर्म है। यही एक

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ब्रह्माण्ड के सभी सौर मण्डलों में असंख्य पृथिव्यां हैं जहां सबमें हमारे समान मनुष्यादि प्राणि हैं

ओ३म् हमारी पृथिवी हमारे सूर्य का एक ग्रह है। इस पृथिवी ग्रह पर मनुष्यादि अनेक प्राणी विद्यमान है। हमारी यह

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