Author: *मनमोहन कुमार आर्य

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

सृष्टिकर्ता ईश्वर प्रदत्त ज्ञान है वेद और संस्कृत भाषा

ओ३म् संसार में दो प्रकार की रचनायें देखने को मिलती है। एक अपौरूषेय और दूसरी पौरूषेय रचनायें। अपौरूषेय रचनायें वह

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

मनुष्य जन्म का उद्देश्य व लक्ष्य विद्या प्राप्ति एवं ईश्वर-साक्षात्कार

ओ३म् संसार में ईश्वर, जीव व प्रकृति इन तीन अभौतिक व भौतिक पदार्थों का अस्तित्व है। ईश्वर व जीव चेतन

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ईश्वर का ध्यान करने से दुःखों की निवृत्ति होती है

वेद और योग-दर्शन सभी मनुष्यों को ईश्वर का ज्ञान कराकर उन्हें ईश्वर की उपासना का सन्देश देते हैं। ईश्वर का

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

धार्मिक व सामाजिक अंधविश्वास व पाखण्डों का कारण अविद्या है

ओ३म् हमारे देश में अनेक प्रकार के धार्मिक व सामाजिक अन्धविश्वास एवं पाखण्ड प्रचलित हैं। इन अन्धविश्वास एवं पाखण्डों का

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

हम ईश्वर के गुणों का साक्षात्कार कर उससे लाभ उठा सकते हैं

ओ३म् हम अपने परिवार, मित्र मण्डली तथा पड़ोसी आदि अनेक लोगों को जानते हैं। हम से कोई पूछे कि क्या

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

हे गौ माता! मैं तेरी सेवा, अन्नोत्पत्ति और गोदुग्ध के लिए तुझे पालता हूं

ओ३म् आर्यजगत् के वेदों के उच्च कोटि के विद्वान आचार्य डा. रामनाथ वेदालंकार ने ‘यजुर्वेद ज्योति’ नाम से यजुर्वेद के

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

माता-पिता की नित्य सेवा करना सन्तान का धर्म वा पितृ-यज्ञ है

ओ३म् मनुष्य के जीवन में ईश्वर के बाद माता-पिता का सबसे अधिक महत्व है। इसके बाद जिन लोगों का महत्व

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