Author: *मनमोहन कुमार आर्य

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

आज का मनुष्य अपने जन्मदाता और स्वयं के ज्ञान से अनभिज्ञ

ओ३म् क्या हम अपने आप और अपने जन्मदाता को जानते हैं। हमें लगता है कि संसार के 99 प्रतिशत लोग

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

मेरा धर्मग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश

ओ३म् मनुष्य मननशील प्राणी को कहते हैं। जो मनुष्य योनि में जन्म लेकर भी मनन नहीं करता और परम्परागत विचारधारा

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

आज हम जहां खड़े हैं वह गुरुकुल की देन हैः आचार्य बालकृष्ण

ओ३म् पतंजलि योगपीठ के आचार्य बालकृष्ण का आर्ष गुरुकुल पौंधा के वार्षिकोत्सव में सम्बोधन- आर्ष गुरुकुल पौंधा देहरादून का तीन

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

माता के समान हितकारी गाय की रक्षा करना मनुष्य मात्र का परम कर्तव्य व धर्म

ओ३म् संसार के जितने भी देश है या यह कहिये कि पृथिवी तल पर जहां-जहां भी मनुष्य है, वहां-वहां गाय

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

अनादि से अनन्त काल की यात्रा में जीवात्मा कर्मानुसार अनेक प्राणी योनियों में विचरता रहा है और आगे भी विचरेगा

ओ३म् यदि हम आर्यसमाज की बात न करें और इतर मनुष्यों व समुदायों की बातें करें तो हम देखते हैं

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ईश्वरीय ज्ञान वेदों के 6 अंग शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द और ज्योतिष हैं: डा. ज्वलन्त कुमार शास्त्री

ओ३म् -आर्ष गुरुकुल पौंधा, देहरादून का 18वां वार्षिकोत्सव– श्रीमद् दयानन्द आर्ष ज्योतिर्मठ गुरुकुल, पौंधा, देहरादून उत्तराखण्ड राज्य का वैदिक विद्या

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ईश्वर के सच्चे स्वरूप की उपलब्धि का प्रमुख स्रोत : सत्यार्थप्रकाश

  संसार में ईश्वर की सत्ता में विश्वास रखने वाले और न रखने वाले दोनों प्रकार के मनुष्य निवास करते

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सामाजिक

देह दान संकल्पित श्री सुशील भाटिया और उनका दानी परिवार

ओ३म् देहरादून में तपोवन के नाम से प्रसिद्ध वैदिक साधन आश्रम, नालापानी रोड में हमें इस वर्ष एक ऐसे दानी

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

स्वामी शंकराचार्य जी के महान कार्य

ओ३म् स्वामी शंकराचार्य जी की जयन्ती पर– स्वामी शंकराचार्य जी की आज जयन्ती बताई जाती है। जन्म तो वर्ष में

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

क्या मनुष्य जीवन का उद्देश्य आधुनिक शिक्षा प्राप्त कर धनोपार्जन कर सुख व सुविधाओं से युक्त जीवन जीना मात्र ही है?

ओ३म् आज का हमारा उपर्युक्त विषय पाठकों को कुछ अटपटा सा लग सकता है। हमें लगता है कि यह विषय

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