Author: *मनमोहन कुमार आर्य

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

एक ईश्वर ही सृष्टि का उत्पत्तिकर्ता, पालक एवं जीवात्माओं का मुक्तिदाता है

ओ३म् हम अपने जीवन के प्रथम दिन से ही इस सृष्टि को अपनी आंखों से देख रहे हैं। इस सृष्टि

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

वेद मनुष्य जन्म का कारण कर्म-फल भोग व मोक्ष प्राप्ति बताते हैं

ओ३म् हम मनुष्य के रूप में जन्मे व जीवन जी रहे हैं परन्तु हमें यह पता नही होता कि हमारा

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

आर्यसमाज विश्व कल्याण सहित संसार से अविद्या दूर करने का आन्दोलन है

ओ३म् आर्यसमाज एक सार्वभौमिक संगठन है जो संसार से धर्म व मनुष्य जीवन के क्षेत्र में सभी प्रकार की अविद्या

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

मनुष्य की मृत्यु का कारण पुनर्जन्म लेकर कर्मफल प्राप्त करना है

ओ३म् मनुष्य अपनी माता से इस संसार में जन्म लेता है। आरम्भ में शैशव अवस्था होती है। समय के साथ

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

मनुष्य निर्माण में माता, पिता तथा आचार्यों की महत्वपूर्ण भूमिका

ओ३म् परमात्मा की व्यवस्था से संसार में मनुष्य का जन्म माता व पिता के द्वारा होता है। माता के विचारों

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

स्वयं सिद्ध ईश्वर को हम अपने ज्ञान के नेत्रों से देख सकते हैं

ओ३म् मनुष्य इस संसार में भौतिक स्थूल पदार्थों, जो आकार वाले हैं, उन्हें ही अपनी आंखों से देख पाता है।

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

हमें जीवात्मा के आवागमन तथा इसकी दुःखों से मुक्ति का ज्ञान होना चाहिये

ओ३म् मनुष्य का आत्मा अभौतिक पदार्थ है। आत्मा से इतर मनुष्य का शरीर भौतिक पदार्थों से बना होता है। मनुष्य

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

वेद सच्चिदानन्दस्वरूप, सर्वज्ञ एवं सर्वव्यापक ईश्वर से उत्पन्न हुए हैं

ओ३म् सूर्य, चन्द्र, पृथिवी तथा नक्षत्रों आदि से युक्त हमारी यह भौतिक सृष्टि मनुष्योत्पत्ति से बहुत पहले बन चुकी थी।

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

कर्तव्य पालन व परोपकार सहित कामनाओं की पूर्ति यज्ञ से होती है

ओ३म् मनुष्य एक ऐसा प्राणी है जिसके द्वारा हर क्षण वायु को प्रदूषित किया जाता है। वायु ही नहीं अपितु

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