मेरे देवता
ज्योत्सना उसे बेइन्तिहा चाहती है। उसका न अब पढ़ने में जी लगता है और न ही घर के किसी काम
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Read Moreसंकट की इस महा घड़ी में मिलकर हाथ बटाओ, हिंदु-मुस्लिम,सिखादि से पहले मानव कहलाओ । जो खाकी पर थूक रहे
Read Moreमैं दीया हूँ , उजाले का वंशधर , जब तक प्राण वर्तिका घोर तम से लडूँगा । मैं दीया हूँ
Read Moreजाति – धर्म का दंश पुराना झेल रहा यह हिन्दुस्तान || कैसे कह दूँ कि सर्वधर्म का मेल रहा यह
Read Moreआज फिर तेरी यादें इन बादलों के सहारे मुझे घेर रही हैं , और झमाझम बरस रही हो तुम ।
Read Moreनिशब्दता की ओढ़े चादर , सोया हुआ था मैं मौन | तभी मन पर दस्तक हुई मैंने अनायास पूछा –
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