गज़ल – चाहता हूँ…
सुनो ,तुम्हें अपना बनाना चाहता हूँ। रंग खुशियों के सजाना चाहता हूँ। माँगी थी कभी जो दुआ तेरे लिए, आज
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Read Moreकवि :-श्री रमेशचंदर सेन( विनोदी जी )। *संक्षिप्त परिचय* बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी विनोदी जी सहज ,सरल ,गंभीर प्रवृत्ति के
Read More“हाय रे ,कित्ती शांत सुभाव ,कित्ती कमेरी थी रे ऊषिया। काहे चली गयी यों हमें छोड़ के। अब को सपेरेगो
Read Moreआये थे तुम जब लेकर हौसले, अरमान ,आशायें खुशियों के दबे ढके से सुनहले अहसास । कुछ ख्बाव ,कुछ सपने
Read More“मिसेज मधुरिता से निवेदन करूँगा कि वह अपना साहित्यिक गौरव सम्मान स्वीकारने हेतु मंच पर पधारें।और हम सबको ,यह सम्मान
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