कविता मीना चोपड़ा 21/11/2020 तीर्थ सौंधी हवा का झोंका मेरे आँचल में फिसल कर आ गिरा। वक्त का एक मोहरा हो गया। और फिर फ़िज़ाओं Read More
कविता मीना चोपड़ा 21/11/2020 अवशेष वक्त खण्डित था, युगों में ! टूटती रस्सियों में बंध चुका था अँधेरे इन रस्सियों को निगल रहे थे। तब Read More
कविता मीना चोपड़ा 21/11/202021/11/2020 कविता टेढ़े और तिरछे रास्तों पर चलती लकीरें नये, पुराने आयामों से निकल उन्हीं में ढलती ये लकीरें परिधि के किसी Read More