कहानी : तृप्ति
कितनी गहमागहमी है हर तरफ़। हर कोई अपनी ही धुन में, किसी भी दिशा में भागता हुआ सा। स्टोव की
Read Moreकितनी गहमागहमी है हर तरफ़। हर कोई अपनी ही धुन में, किसी भी दिशा में भागता हुआ सा। स्टोव की
Read Moreले चलना हमें कुछ देर कुछ दूर …. तुम अपने साथ आसमान की नीली चादर तले लिए हाथों में
Read Moreआज की सुबह फिर से आई है, इक नयी उम्मीद लेकर आशा की एक नयी किरण, इक नयी तस्वीर लेकर
Read Moreफिज़ाओं में आज नमी -सी है .. इन्हें भी एहसास है शायद मेरी उदासी-का जो गहरी पसरी है मेरे भीतर
Read More