देह और नारी
मैं दान की चीज़ नहीं नहीं मैं भोग विलास की वस्तु । मैं देह नहीं हूं, केवल मैं अंतरात्मा हूँ
Read Moreमैं दान की चीज़ नहीं नहीं मैं भोग विलास की वस्तु । मैं देह नहीं हूं, केवल मैं अंतरात्मा हूँ
Read Moreनारी, तुम इतना क्यों सहती हो… क्यों दो धारे में बहती हो… तेरे आंचल में गंगा जल… मन में तेरे
Read Moreबसंत ऋतु आयी मनभाई रे बहे पवन माँ वीणापाणि की करती प्रार्थना मन मानस माते शारदे करती हूं वन्दना हाथ
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