ओ री गौरैया
गौरैया को अपने आंगन या आसपास हम सबने कब चीं-चीं करते और कब पैरों के पास फुदकते और उड़ते देखा है
Read Moreगौरैया को अपने आंगन या आसपास हम सबने कब चीं-चीं करते और कब पैरों के पास फुदकते और उड़ते देखा है
Read Moreअक्सर रातों को मेरी तन्हाइयों में धीरे से चुपके से तुम आते हो मुस्कुराते हो और यह कहकर चले जाते
Read Moreमेरे आंगन नाच रही है, कुंदन सी चमकीली धूप मन में बैरन आग लगाए, कैसी यह बर्फीली धूप जमुना तट पर
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