बृजभाषी रचना – कृपादृष्टि
भगवान श्रीकृष्ण के वियोग में तड़पि रहे भारी बृज के गोप-गोपियां दे हूकारी टेर लगावैं एक-एक पल चैन सूं रह
Read Moreभगवान श्रीकृष्ण के वियोग में तड़पि रहे भारी बृज के गोप-गोपियां दे हूकारी टेर लगावैं एक-एक पल चैन सूं रह
Read Moreभारत भू का बच्चा-बच्चा दीवाना है ढोंगी नेताओं से अपना देश बचाना है शौर्य-वीरता हमारी मजबूत इस्पात समान हम
Read Moreआया सावन झूम के, लेकर तुनक मिज़ाज खोल दिया मौसम ने अपना छुपा हुआ सब राज भीग गई गोरी बीच
Read Moreमैं कवि नहीं हूँ और नाहीं कोई कविता करना जानता हूँ मैं दीपक हूँ इसीलिए सिर्फ जलना जानता हूँ |
Read Moreहाँ आज मैं निराश हूँ हताश हूँ… उदास हूँ… लोगों की हंसी का पात्र हूँ क्योंकि मैं बेरोजगार हूँ !
Read Moreग्राम प्रधान महेश चन्द्र ने वो हर गलत काम किये, जिससे अधिक से अधिक धन-दौलत कमायी जा सके | देखते
Read Moreभीषण गर्मी पड रही थी | चमन अपनी साईकिल से बाजार में किसी काम से घूम रहा था | उसे
Read Moreहिंदी हिंद की शान है | हम सब की पहचान है || संस्कारों की खान है | हिंदी हिंद की………
Read Moreघनघोर तिमिर फैला था भारत भू पर घर – घर में बसा था झूठा आडम्बर तब भारत भू पे एक
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