ग़ज़ल
कुछ रंजो गम के दौर से फुर्सत अगर मिले । आना मेरे दयार में मुहलत अगर मिले ।। यूँ हैं
Read Moreजख्म देकर मुस्कुराना आ गया । आपको तो दिल जलाना आ गया ।। क़ाफिरों की ख़्वाहिशें तो देखिये । मस्ज़िदों
Read Moreसब कुछ है मेरे पास मगर बेजुबान हूँ । क़ानून तेरे जुल्म का मैं इक निशान हूँ ।। क्यूँ माँगते
Read More122 122 122 122 वो जब भी चला छोड़ने मैकशी को । अदाएं जगा कर गईं तिश्नगी को ।। बयाँ
Read Moreअन्याय के विरोध में जाने से डर लगा ।। भारत का संविधान बताने से डर लगा ।। यूँ ही बिखर
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