ग़ज़ल – बच्चे विद्यालय तक पहुँचे
चेतन के आश्रय तक पहुँचे परमानन्द निलय तक पहुँचे रिश्ते नाते मोल लगाते सारे ही विक्रय तक पहुँचे वाद अभी
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