दोस्त
दिन उदासी के मौसम में बीता अपना, रात को सिसकियों ने सुलाया था,, पहले बात तो हुई थी गले लगाने
Read Moreमत काट ये झाड़ पेड़ उन्होंने तेरा क्या बिगाड़ा है तेरे जन्म से तेरे अंत तक बस उनका ही सहारा
Read Moreमेरी कलम भी रो पड़ी है, उसका दर्द बताने में जो कल तक तो थी जिंदा, पर अब ना रही
Read Moreवो कोमल फूल के जैसी है, मैं निम्म तेज सा orna हूं, वो सबको बहुत लुभाती है, मैं बस घायल
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