ये सोने के हिरण
बनाकर वेश साधू का कई रावण निकलते हैं , ये सोने के हिरण सीता को त्रेता युग से छलते हैं
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Read Moreचंदा चमकता है गगन में , प्रेम पर बलिहार है । करवा लिये बैठी सुहागिन कर रही मनुहार है ।।
Read Moreभादो की अष्टमी खुशी की बात हो गयी , कान्हा के अवतरण की हँसी रात हो गयी । कृष्णा ने
Read Moreसत्ता की तक़दीर तुम्हारे हाथो में , लोकतन्त्र की डोर तुम्हारे हाथों मे । आया है त्योहार चुनावी मौसम फिर
Read Moreनारी पर दोहे — दुष्ट चक्षुओं से बचने को ,परदा करती नारि। नारी सुलभ संकोच ही , काफी इसे सँभारि।।
Read Moreमैं बेटी हूँ , मैं दुहिता हूँ , मैं इस दुनिया में आयी हूँ , मै हूँ रचना परमेश्वर की
Read Moreकितना फैला घनघोर अंधेरा रात अमावस की है काली दीपों के परिधान पहन कर जगमग जगमग आई दीवाली अवधपति श्री
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